भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल Bipin Rawat, वीरता, विवाद और उपलब्धियों की कहानी
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जनरल Bipin Rawat का नाम भारतीय सेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। वे भारतीय सेना के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बने, और अपने सेवा काल में कई ऐतिहासिक फैसलों और विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहे। उनकी वीरता, कुशल नेतृत्व, और स्पष्टवादी स्वभाव ने उन्हें एक अनोखी पहचान दी।
सेना को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात पर मचा विवाद
जनरल रावत ने सेना को सबसे महत्वपूर्ण बताते हुए कहा था कि वायुसेना और नौसेना सेना की सहायक शाखाएं हैं। उनका यह बयान सामने आते ही वायुसेना और नौसेना प्रमुखों ने विरोध किया। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया ने कहा कि वायुसेना की भूमिका केवल सहायक नहीं है, बल्कि किसी भी युद्ध में वायुशक्ति का अहम योगदान होता है।
जनरल सैम मानेकशॉ से तुलना
जनरल बिपिन रावत का करियर कई मामलों में जनरल सैम मानेकशॉ से मिलता-जुलता है। दोनों गोरखा रेजिमेंट से आए और अपने स्पष्टवादी स्वभाव के लिए जाने गए। उनके नेतृत्व में सैनिक हमेशा उनके आदेशों का पालन करने के लिए तत्पर रहते थे।
हेलीकॉप्टर हादसा: मानव त्रुटि या साजिश?
8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में उनका हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें उनकी और उनकी पत्नी सहित 13 लोगों की मौत हो गई। चीन ने इस हादसे को मानव साजिश बताया। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इसे रूस निर्मित MI-17V5 हेलीकॉप्टर की विफलता नहीं, बल्कि मानवीय त्रुटि करार दिया।
डोकलाम और गलवान में नेतृत्व
2017 में डोकलाम विवाद और 2020 में गलवान घाटी में चीन के आक्रामक रुख का सामना करते हुए जनरल रावत ने सेना का कुशल नेतृत्व किया। हिमालय की ऊंचाई और बर्फीले इलाकों में युद्ध संचालन में वे माहिर थे।
सेना में शुरुआती दिनों से शिखर तक
जनरल रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी में हुआ था। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत भी सेना में थे। बिपिन रावत ने नेशनल डिफेंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी से प्रशिक्षण लिया। वे दिसंबर 1978 में 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त हुए।
राजनीतिक समझ और विवादित बयान
जनरल रावत के कुछ बयानों ने उन्हें राजनीतिक विवादों में भी घेरा। 2018 में उन्होंने असम में अवैध प्रवासियों और एआईयूडीएफ की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता का जिक्र किया। एआईयूडीएफ के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने इसे आपत्तिजनक बताया।
अनुच्छेद 370 पर रुख
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद उन्होंने कहा था कि “सबकुछ शांतिपूर्ण है और किसी को कोई समस्या नहीं है।” इस पर कांग्रेस ने उनकी आलोचना करते हुए उन्हें भाजपा सरकार का प्रवक्ता बताया।
अनुशासन और कठोर निर्णय
जनरल रावत ने कश्मीर में एक स्थानीय व्यक्ति को जीप से बांधने के आरोपी मेजर लीतुल गोगोई का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि ऐसा कदम आवश्यक था। उनकी इस सोच ने सेना में अनुशासन और कठोर निर्णय लेने की उनकी क्षमता को दर्शाया।
पहली सीडीएस नियुक्ति और चुनौतियां
31 दिसंबर 2016 को सेना प्रमुख बनने के बाद, 2019 में उन्हें भारत का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने तीनों सेनाओं के बीच समन्वय को मजबूत किया।
साहस, शिक्षा और समर्पण
जनरल रावत ने 41 साल की सेवा में पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों पर अपनी क्षमताओं का लोहा मनवाया। उनके सहकर्मी उन्हें साहसी, दक्ष, और शिक्षित अधिकारी मानते थे। उनका स्पष्टवादिता और निर्णय लेने की क्षमता उन्हें बाकी अधिकारियों से अलग बनाती थी।
8 दिसंबर 2021 को हुए हेलीकॉप्टर हादसे ने देश को गहरा आघात दिया। इस हादसे में उनकी पत्नी मधुलिका रावत और अन्य सैन्य अधिकारियों की भी मौत हो गई। उनकी असमय मृत्यु ने देश को एक महान सैन्य नेता और मार्गदर्शक से वंचित कर दिया।
जनरल बिपिन रावत का जीवन प्रेरणा का स्रोत है। वे एक ऐसे सेनानी थे, जिन्होंने अपनी स्पष्टवादी सोच और साहसिक नेतृत्व से सेना और देश को नई दिशा दी। उनकी विरासत हमेशा भारतीय सेना को प्रेरित करती रहेगी।